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उत्तर प्रदेश सामान्य ज्ञान (UP GK – General Knowledge) सम्बन्धी जानकारी यहाँ दी गयी है। GK of Uttar Pradesh – उत्तर प्रदेश जीके (सामान्य ज्ञान) से जुड़े प्रश्न राज्य में होने वाली विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी परीक्षाओं में आते हैं। उत्तर प्रदेश सामान्य ज्ञान (उत्तर प्रदेश का भौतिक स्वरुप – Physical Structure of Uttar Pradesh) हिंदी भाषा में यहाँ दिया गया है, जो कि आपको एक दिवसीय परीक्षाओं की तैयारी में सहायता करेगा।
उत्तर प्रदेश- भौतिक स्वरुप – UP Physical Structure
- स्थिति- उत्तर मध्य भारत
- लम्बाई- पूर्व से पश्चिम- 650 किमी
- चौड़ाई- उत्तर से दक्षिण – 240 किमी
- क्षेत्रफल- 240928 वर्ग किमी (भारत का 7.33 %)
- सीमाएं- नेपाल व 9 राज्य (उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, बिहार)
- जलवायु- उपोष्ण मानसूनी
भू-गर्भिक संरचना
- भू-गर्भिक दृष्टि से उत्तर प्रदेश भारत के प्राचीनतम गोंडवाना लैंड महाद्वीप का एक हिस्सा है|
- प्रदेश का दक्षिणी पठारी भाग कैम्ब्रियन युग में विंध्य क्रम की शैलों से निर्मित है|
- विंध्य क्रम की शैलों में चुना पत्थर, बलुआ पत्थर, डोलोमाइट, आदि शैलेन पाई जाती है| इन शैलों में जीवाश्म अवशेषों का आभाव होता है|
- उत्तर में शिवालिक श्रेणियों और दक्षिण में विंध्य श्रेणियों के मध्य में गंगा यमुना का मैदान है जी प्लीस्टोसीन युग से अब तक अवसादों के निक्षेप के परिणाम स्वरुप बना है|
भौतिक विभाजन
- उत्तर प्रदेश को तीन भागों में बांटा जा सकता है-
- – भांभर एवं तराई क्षेत्र
- – मैदानी भाग
- – दक्षिणी पहाड़ी पठारी क्षेत्र
- भांभर क्षेत्र– सबसे उत्तरी भाग भांभर कहलाता है| इसमें कंकण-पत्थर और मोटी बालू के निक्षेप पाए जाते है| भांभर क्षेत्र की भूमि अपेक्षाकृत उबड़-खाबड़ है|
- तराई क्षेत्र– उत्तर का तराई क्षेत्र महीन अवसादों व समतल भूमि वाला नम क्षेत्र है| यहाँ वर्षा की अधिकता होने से दलदली भूमि पाई जाती है|
- मध्य का मैदानी भाग– प्रदेश के मध्य का मैदानी भाग गंगा यमुना और उसकी सहायक नदियों द्वारा लाइ गई कांप मिटटी,कीचड़ और बालू द्वारा निर्मित है|
- मध्य के मैदानी भाग की ऊंचाई 80 से 300 मीटर तक है तथा इसका ढाल उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर है|
- इस क्षेत्र को दो उपभागों में बांटा जा सकता है- बांगर और खादर क्षेत्र|
- बांगर क्षेत्र में बाढ़ का पानी नहीं पहुंच पाता जिसके कारण यहाँ पुरानी कांप या जलोढ़ मिट्टी का जमाव होता है|
- बांगर क्षेत्र में हजारों सालों से कृषि होते रहने के कारण यहाँ की मिट्टी में उर्वरा शक्ति काम हो गई है|
- खादर क्षेत्र में नदियां प्रतिवर्ष नई कांप मिट्टी का निक्षेप करती है| यह क्षेत्र अत्यन्त उपजाऊ होता है|
- यमुना और चम्बल के बीहड़ों का निर्माण नदियों द्वारा अधिक आवरण के क्षय होने से हुआ है|
- सारे मध्य के मैदानी भाग में रबी और खरीफ की फसलों की खेती की जाती है|
- दक्षिणी पठारी भाग– इसे बुंदेलखंड का पठार भी कहतें है|
- दक्षिणी पठारी भाग की औसत ऊंचाई 300 मीटर है तथा मिर्ज़ापुर और सोनभद्र की सोनाकर और कैमूर पहाड़ियों पर इसकी अधिकतम ऊंचाई 600 मीटर है|
- इस क्षेत्र में वर्षा अपेक्षाकृत कम होती है तथा यहाँ की मिट्टी लाल है|
- दक्षिणी पठारी भाग की प्रमुख फसलें चना, अरहर, सरसों, ज्वार, गेहूँ आदि हैं|
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