जिस समय देश में सविनय अवज्ञा आंदोलन पूरे जोरो पर था, और गाँधी जी ने नमक यात्रा की थी, उस समय ब्रिटिश सरकार को अंदेशा हो गया था की भारत पर अब उनका निरंकुश शासन नहीं चल सकेगा| उन्हें अहसास हो गया था कि अब भारतीयों को भी सरकार में हिस्सा देना पड़ेगा| इसलिए ब्रिटिश सरकार ने लन्दन में गोलमेज सम्मेलनों को आयोजित करने का फैसला किया| जिसमे भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को बुलाया गया|
इन गोलमेज सम्मेलनों या Round Table Conferences में साइमन कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर भारत की राजनीतिक समस्याओं पर चर्चा करने के लिए अंग्रेज सरकार ने 1931 से 1932 के बीच तीन गोलमेज सम्मेंलन बुलाये| इस आर्टिकल ने हम Golmej Sammelan in Hindi टॉपिक पर बात करेंगे|

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प्रथम गोलमेज सम्मलेन (First Round Table Conferences In Hindi)
1st गोलमेज सम्मलेन 12 नवंबर 1930 से 13 जनवरी 1931 तक लंदन में आयोजित किया था| इसमें पहली बार ब्रिटिश शासकों द्वारा भारतीयों को भारतीयों को बराबरी का दर्जा दिया गया| इसकी अध्यक्षता ब्रिटिश PM रैम्जे मैक्डोनॉल्ड ने किया था|
इस सम्मलेन में कांग्रेस ने हिस्सा नहीं लिया था|
इस सम्मलेन में हिस्सा लेने वाले नेताओं में तेजबहादुर सप्रू, श्री निवासशास्त्री, मुहम्मद अली, मुहम्मद शफी, आगा खान, फजलूल हक, मुहम्मद अली जिन्ना, होमी मोदी, एम.आर.जयकर, मुंजे, भीमराव अंबेडकर, सुंदर सिंह मजीठिया आदि थे|
ब्रिटिश सरकार प्रथम गोलमेज सम्मेलन से समझ गई कि बिना कांग्रेस के सहयोग के कोई फैसला संभव नहीं है। वायसराय लार्ड इरविन एवं महात्मा गांधी के बीच 5 मार्च 1931 को गाँधी-इरविन समझौता सम्पन्न हुआ। यह समझौता इसलिये महत्वपूर्ण था क्योंकि पहली बार ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों के साथ समानता के स्तर पर समझौता किया।