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नई शिक्षा नीति: जुलाई 2020 में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्कूल से लेकर कॉलेज स्तर तक – भारतीय शिक्षा प्रणाली में कई बदलाव लाने के उद्देश्य से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 (National Education Policy) को मंजूरी दी है।
- इससे पहले 1 मई को, PM नरेंद्र मोदी ने National Education Policy – 2020 की समीक्षा की थी| NEP का ड्राफ्ट विशेषज्ञों के एक पैनल द्वारा तैयार किया गया था|
- इस पैनल का नेतृत्व भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व प्रमुख के. कस्तूरीरंगन ने किया था|
- NEP 2020 का लक्ष्य “भारत को ग्लोबल नॉलेज सुपरपावर” बनाना है।
- कैबिनेट ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय करने की भी मंजूरी दे दी है।
- इससे पहले भारत में दो शिक्षा नीतियां 1968 और 1986 में लाई गई थीं। 1992 में शिक्षा नीति 1986 में थोड़ा संशोधन भी किया गया था|
Key Point of The New Education Policy 2020 – नई नीति के महत्वपूर्ण बिंदु
स्कूली शिक्षा अब 3 साल की उम्र से शुरू होगी:
- नई शिक्षा नीति के तहत अब अनिवार्य स्कूली शिक्षा 6-14 की आयु के स्थान पर 3-18 की आयु वर्ग के लिए निर्धारित कर दी गई है|
- NEP-2020 में मौजूदा 10+2 सिस्टम को 5+3+3+4 सिस्टम से बदल दिया जायेगा|
- इस नए सिस्टम में तीन साल की आंगनवाड़ी / प्री-स्कूलिंग के साथ 12 साल की स्कूली शिक्षा होगी।
- स्कूली शिक्षा का 15 और टीचर एजुकेशन का 11 साल पुराना पाठ्यक्रम बदलेगा| कस्तूरबा विद्यालय अब 12 वीं तक होंगे|
- पूरे देश में एक कॉमन सिलेबस के तहत पढ़ाई कराई जाएगी|
- नई शिक्षा नीति में कहा गया है की छात्रों को 6 वीं क्लास से ही कोडिंग भी सिखाई जाएगी|
- NEP ने सुझाव दिया है कि कक्षा 5 तक के छात्रों को यदि संभव हो तो उनकी मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाया जाना चाहिए।
- 6 वीं कक्षा से स्कूलों में स्किल आधारित व्यावसायिक शिक्षा शुरू होगी, और इसमें इंटर्नशिप शामिल होगी।
- नई शिक्षा नीति के अनुसार अब छात्रों को साइंस, आर्ट्स या कॉमर्स स्ट्रीम में से किसी एक को चुनने की जरूरत नहीं पड़ेगी| छात्र किसी भी स्ट्रीम से अपनी पसंद के विषयों का चयन कर सकते हैं।
- छात्रों के मूल्यांकन में AI का प्रयोग भी किया जायेगा|
- पढ़ाई लिखाई के अतिरिक्त म्यूजिक और स्पोर्ट्स जैसे विषयों को भी महत्व दिया जायेगा|
NO UGC, AICTE, NCTE:
- सिंगल रेगुलेटर: Higher Education Commission of India की स्थापना उच्च शिक्षा के लिए सिंगल रेगुलेटर के रूप में की जाएगी|
- HECI चिकित्सा और कानूनी शिक्षा को छोड़कर बाकि सभी उच्च शिक्षा को रेगुलेट करेगी|
- सार्वजनिक और निजी उच्च शिक्षा संस्थान एक ही मानदंड, और शैक्षणिक मानकों द्वारा शासित होंगे।
- मल्टी लेयर डिग्री: NEP के तहत, अंडरग्रेजुएट डिग्री या तो 3 या 4 साल की होगी, जिसमें इस अवधि के भीतर भी ड्रॉपआउट करने के लिए कई विकल्प होंगे।
- यदि किसी ने 1 साल के बाद कॉलेज ड्राप कर दिया तो उसे सर्टिफिकेट, 2 साल बाद ड्राप करने पे डिप्लोमा और 3 साल पूरा करने पे बैचलर्स डिग्री दी जाएगी|
- जो लोग नौकरी करना चाहते हैं वो 3 साल की डिग्री कर सकते है, और जिन्हे शोध कार्य करना है वो 4 साल की डिग्री के लिए जा सकते है|
- सरकार एक एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट की भी स्थापना करेगी।
- कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षाओं को आसान बनाया जायेगा|
- सभी छात्रों को दो बार बोर्ड परीक्षा देने का मौका मिलेगा।
- एम.फिल पाठ्यक्रम को बंद कर दिया जाएगा|
- नेशनल रिसर्च फाउंडेशन को एक सर्वोच्च निकाय के रूप में बनाया जाएगा। जिसका उद्देश्य रिसर्च कल्चर को बढ़ावा देना और उच्च शिक्षा के लिए अनुसंधान क्षमता का निर्माण होगा |
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