हिंदू विवाह दो व्यक्तियों को अनंत काल के लिए मिलाता है, ताकि वे धर्म (सत्य), अर्थ, और काम से जुड़े कार्यो की पूर्तिकर सकें।
मनुस्मृति को हिंदुओं के लिए एक मानक धार्मिक ग्रंथ माना जाता है। इसेमानव धर्म शास्त्र भी कहा जाता है और यह प्राचीन हिंदुओं के लिए घरेलू और धार्मिक जीवन के लिए एक आधिकारिक स्रोत है।
मनुस्मृति प्राचीन वैदिक हिंदू जीवन में मौजूद विवाह के आठ प्रकारों को रेखांकित करती है। विवाह के पहले चार रूपों को उत्तम माना जाता था। विवाह के अंतिम चार रूपों को निंदनीय मानाजाता था।
Table of Contents
Types of Marriage in Hinduism
1: ब्रह्म विवाह – Brahma marriage
लड़की का पिता अपनी इच्छा से अपनी पुत्री को किसी उपयुक्त व्यक्ति को बिना कुछ प्रतिफल लिए देने प्रस्ताव करता था|
2: दैव विवाह – Daiva marriage
पिता अपनी पुत्री पुरोहित को ब्याहते थे|

3: आर्ष विवाह – Arsha marriage
विवाह करने वाला पुरुष कन्या के पिता के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए, न की प्रतिफल के रूप में, उसे एक जोड़ी बैल देता था|
4: प्रजापत्य विवाह – Prajapatya Marriage
विवाह का प्रस्ताव विवाहार्थी की ओर से आता था|
5: असुर विवाह – Asura Marriage
विवाहार्थी पुरुष की ओर से लड़की के पिता को नकद या वस्तुओंके रूप में प्रतिफल दिया जाता था| यह प्रतिफल विवाह के बाद पति को लौटा दिया जाता था| ये विवाह केवल वैश्य और शूद्र में होता था|
6: गन्धर्व विवाह – What is Gandharva Vivah?
माता-पिता की अनुमति के बिना प्रेम विवाह| गन्धर्व विवाह (Gandharva Vivah) केवल क्षत्रियों में होता था|
7: राक्षस विवाह – Rakshas Marriage
कन्या का अपहरण कर विवाह करना| राक्षस विवाह सभी वर्णो के लिए निंदनीय था|
8: पैशाच विवाह – Paishach Marriage
कन्या से बलात्कार कर उससे विवाह करना| पैशाच विवाह सभी के लिए अति निंदनीय था|
नोट– ब्राह्मणों के लिए सिर्फ प्रथम चार विवाह ही मान्य थे|
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